चार्वाक दर्शन: भारतीय भौतिकवाद का दार्शनिक दृष्टिकोण
भारतीय दर्शन की मुख्य प्रवृत्ति आध्यात्मिक मानी जाती है, लेकिन यह समझना कि भारतीय दर्शन पूर्णतः आध्यात्मिक है, गलत होगा। जो लोग ऐसा मानते हैं, वे भारतीय दर्शन को आंशिक…
भारतीय दर्शन की मुख्य प्रवृत्ति आध्यात्मिक मानी जाती है, लेकिन यह समझना कि भारतीय दर्शन पूर्णतः आध्यात्मिक है, गलत होगा। जो लोग ऐसा मानते हैं, वे भारतीय दर्शन को आंशिक…
उपनिषदों का दर्शन (Philosophy of the Upanisads) उपनिषद वेद के अंतिम भाग हैं, इसलिए इन्हें वेदांत (वेद-अंत) भी कहा जाता है। वेदांत, वेदों का अंतिम भाग या सार है ।…
वेद विश्व-साहित्य की सबसे प्राचीन रचना है। यह मानव-भाषा में प्राचीनतम् मनुष्य के धार्मिक और दार्शनिक विचारों का सर्वप्रथम परिचय प्रस्तुत करता है। डॉ. राधाकृष्णन ने कहा है, "वेद मानव-मन…
भारतीय दर्शन में ईश्वर-विचार का मूल स्रोत वेद, विशेष रूप से ऋग्वेद, को माना जाता है। ऋग्वेद में ही भारतीय दर्शन के अधिकांश सिद्धांत बीज रूप में निहित हैं, जिनमें…
भारतीय दर्शन में विश्व के अस्तित्व और उसकी सत्यता को लेकर विभिन्न विचार पाए जाते हैं। शंकर और योगाचार सम्प्रदाय को छोड़कर, अन्य अधिकांश भारतीय दार्शनिक जगत को सत्य मानते…
भारतीय दर्शन में पुनर्जन्म का सिद्धान्त एक महत्वपूर्ण विचार है, जो अधिकांश आस्तिक दार्शनिक प्रणालियों द्वारा स्वीकार किया गया है। पुनर्जन्म का अर्थ है आत्मा का एक शरीर से दूसरे…
भारत के दार्शनिक सम्प्रदायों को आमतौर पर आस्तिक और नास्तिक में विभाजित किया जाता है। आस्तिक दर्शन में न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदान्त शामिल हैं, जबकि नास्तिक दर्शन…